यस्य विज्ञानमात्रेण मन्त्रसिद्धिर्न संशयः ॥ २७॥ नैॠत्यां क्रोधनः पातु उन्मत्तः पातु पश्चिमे । श्री गणपति, गुरुदेव, गौरि के चरणों में नमन कर मैं शिवरूप श्री भैरवदेव का चालीसा रचता हूं ॥ पातु शाकिनिका पुत्रः सैन्यं वै कालभैरवः हे बटुक भैरव ! आपकी जय हो। हे शिव के अवतार आप https://linkingbookmark.com/story16608065/examine-this-report-on-bhairav-kavach